Father of Siachen glacier सियाचेन ग्लेशियर के पिता केनाम का हकदार नरेन्द्र "बुल कुमार की कहानी
ये कहानी हैं गुमनामी की जिंदगी जि_रहें भारत के महान कर्नल नरेन्द्र "बुल कुमार की जिन्हें Father of Siachen glacier भी कहना गलत नहीं हैं। मैं अपने पूरे टिम yaria कि तरफ़ से आप को कोटी कोटी नमन करता हूं ... जय हिन्द
भारत मां का महान पुत्र " नरेन्द्र "बुल" कुमार कहानी जिन्हें बुल के नाम से जाना जाता है
नरेन्द्र "बुल" कुमार |
वर्ष था 1950... भारत को आजाद हुए कुछ ही वक्त बीता था। देहरादून का इंडियन मिलिट्री ऐकेडमी के ज्वाइंट सर्विसेज विंग में सेना, एयरफोर्स और नेवी के कैडेट्स की साझा ट्रेनिंग चल रही थी (क्योंकि उस वक्त तक खडगवासला में नेशनल डिफेंस ऐकेडमी पूरी तरह से बनकर तैयार नही हुई थी।)
एक सत्रह साल के कैडेट को बाॅक्सिंग रिंग में अपने सीनियर बैच के कैडेट का मुकाबला करना था। वो सीनियर कैडेट बड़ा ही ब्रिलियेंट और बेहतरीन बाॅक्सर था।
वो सीनियर बैच का कैडेट था भविष्य का भारतीय सेना का सेनाध्यक्ष जनरल S.F. राॅड्रिग्स जिस का बाॅक्सिंग रिंग में दबदबा रहता था।
उसके सामने था सत्रह साल का जूनियर कैडेट नरेन्द्र कुमार शर्मा। पाकिस्तान के रावलपिंडी मे पैदा हुआ वो लडका, जिसका परिवार देश के विभाजन के समय भागकर भारत आया था। घमासान बाॅक्सिंग मैच हुआ और भविष्य के सेनाध्यक्ष ने जूनियर कैडेट नरेन्द्र कुमार शर्मा का भूत बनाकर रख दिया।
वो जूनियर लडका बुरी तरह पिटा, मगर पीछे नहीं हटा। बार बार पलटकर आता, मारता और मार भी खाता मगर पीछे हटने को तैयार ना होता। अंतत: कैडेट S.F. राॅड्रिग्स ने वो मुकाबला जीत लिया। जूनियर कैडेट बुरी तरह पिटकर हारा जरूर मगर उसी बाॅक्सिंग मैच में मैच देखने वाले कैडेट्स ने उसको एक #निकनेम दे दिया। जो जीवन भर उसके नाम से चिपका रहा। वो निकनेम था BULL यानि बैल ......
वो बैल मात्र तीन दिन पहले दिल्ली के धौलाकुंआ स्थित आर्मी के R.R. हाॅस्पिटल में अपनी जिंदगी का आखिरी मुकाबला, मौत से हार गया।
देश का एक हीरो चुपचाप दुनिया से चला गया Unknown and unsung ....बहुत कम लोगों को ये मालूम है नरेन्द्र कुमार "बुल" आखिर थे कौन ????
नरेन्द्र "बुल" कुमार |
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